यदि किसी व्यक्ति ने पिता की बनाई हुई विरासत को नष्ट करने में अपनी अहम भूमिका निभाई हो और वह चिकनी चुपड़ी बातें करके पिता को खुश करना चाहे तो पिता अंतरात्मा से उससे कभी प्रसन्न नहीं होगा ठीक उसी प्रकार ईश्वर की आराधना करने वाले यदि उसकी बनाई हुई विरासत को प्रकृति को उसके नियमों को भंग करके उनका खंडन करके समाज को दिखाने के लिए ईश्वर की आराधना रहे हों तो ईश्वर कभी प्रसन्न नहीं होगा। ईश्वर केवल सच्चाई में वास करता है। सत्य में ही सब कुछ समाहित है।
जय हिंद, जय माता दी, वंदे मातरम जय साहित्य ।
सादर घायल परिंदा
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