ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

राम तभी से, सिया राम हो गए

(विवाह पंचमी _17 दिसंबर,2023)
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राम तभी से, सिया राम हो गए
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मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी अद्भुत,
चेतना प्रकृति मिलन अवसर ।
दैविक उपमा राम सीता विवाह
सर्वत्र सनातनी संस्कृति असर ।
धर्म आस्था परम शिखर,
कलयुग भाव त्रेता सम हो गए।
राम तभी से, सिया राम हो गए ।।

उपवन गमन ध्येय पूजन पुष्प,
सखियों संग जनक दुलारी विहार ।
दर्शन कर राम सुदर्शन छवि,
अंतर्मन अथाह आनंद संचार ।
दशरथ नंदन देख सिय आभा ,
प्रेम मृदुल अनुभूति सह खो गए ।
राम तभी से, सिया राम हो गए ।।

राजा जनक दिव्य धनुष यज्ञ,
दूरस्थ राज्य कुमार गण पदार्पण ।
राम लक्ष्मण गुरु वशिष्ठ सानिध्य,
शुभ उपस्थिति मंगल समर्पण ।
विच्छेदन श्रृंगार शिव जी पिनाक,
राम स्वयंवर विजयी हो गए ।
राम तभी से, सिया राम हो गए ।।

अति हर्षित गर्वित त्रिलोक,
रज रज साक्षी अभिवंदन ।
राम मुखमंडल भव्य मुस्कान,
सीता वरमाला सहर्ष अभिनंदन ।
सृष्टि सर्व शब्द स्वर तत समय,
मनमोहक परिणय गीत हो गए ।
राम तभी से, सिया राम हो गए ।।

*महेन्द्र कुमार*
(स्वरचित मौलिक रचना)
दिनांक 17/12/2023

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