यूं तो जिंदगी में कुछ अधूरे ख्वाब रह जाते हैं।
कुछ सवाल साथ जाते हैं कुछ जवाब रह जाते हैं।।
पूरे करो चाहे जितने कुछ हिसाब रह जाते हैं।
कुछ के कुछ पूरे हुए कुछ के बेहिसाब रह जाते हैं।।
चेहरे तो बदल जाते हैं पर नकाब रह जाते हैं ।
नवाबी चली जाती है फिर भी नवाब रह जाते हैं ।।
कुछ आंखों से पीते शबाब की शराब रह जाते हैं
कुछ आंखों से पढ़ते दिल की किताब रह जाते हैं।
कहे ,परिन्दा घायल ,कुछ कर देते हैं प्यार का इजहार इक पल में।
कुछ वर्षों तक हाथों में लिए गुलाब रह जाते हैं।।
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किसी का प्रचार करने वाले किसी को धोखे में रख सकते हैं ।
लेकिन किसी पर विचार करने वाले किसी को धोखे में नहीं रख सकते।।
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तूफान अपने मद में आया औरआकर गुजर गया।
मगर मासूम परिन्दों का प्यारा आशियाँ बिखर गया। ।
जब दर्द मिला तो जैसे वो समय भी ठहर गया।
प्यार का वो हर पल जाने कितनी जल्दी गुजर गया।।
इक बन्धन क्या बंधा वो हर लड़ाई से डर गया।
जो हर जंग के मैदान में सबसे होकर निडर गया।।
किसी की अच्छाई पर बुराई का होता कहर गया।
कोई झूठे प्यार में भी किसी के पीता जहर गया ।।
उसे बताये तो अच्छे रास्ते मगर वो छोड़ता डगर गया।
रहा समझता दुश्मन मुझको वो
फंसता भंवर गया।।
कोई लाज बचाने की खातिर कांटों में करता बसर गया।
उसे बदनाम करने के लिए किसी का शामो-सहर गया।।
गिरा -गिराकर गिरा न पाया तू गिर खुद की नजर गया।
कहे,परिन्दा घायल ,तू जिसे गिराने को आतुर था वो ज्यादा सुधर गया।।
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शमशीरों के संघर्षों पर हमने जीवन पाला है ।
आंधी और बवंडर में खुद को हमने ढाला है ।।
हाथों से चीर के रेत का सीना हमने वारि निकाला है।
कांटों की नोंको पर चलकर हमने राह सुगम कर डाला है।।
एक तरफ है पैनी छूरी एक तरफ जहरीला भाला है।
हम गीदड़ भभकी से ना डरने वाले इक शेर से तेरा पाला है।।
सुरा नहीं लब से छूने दी फिर भी दिल में मधुशाला है।
जाम नहीं टकराये फिर भी टूट रहा हर प्याला है।।
सफेद लिबासों में हो चमके मन तो फिर भी काला है।
कहे, परिन्दा घायल, सत्य कहाँ वो देख सकेगा जिसकीआंखों में झूठ का जाला है।।
जय हिन्द जय साहित्य
सादर घायल परिन्दा
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