ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

परिंदे सब बहुत हतास है


परिंदे सब  बहुत  हतास  है मेरे  शहर  में
शजर  निगलता  विकास  है मेरे  शहर में

मिलकर  नेता  अफसर  अखबार  नवीस 
करते  फंड का  बंदरबांट  है मेरे  शहर में

माहगाई  बेबसी  बेकारी  की  गिरफ्त   में
खुशियां  बहुत   उदास  है   मेरे  शहर  में

हर  शख्स  बहुत बेबाक है  फिर भी यहां
उठती  न  कोई  आवाज  है  मेरे  शहर में

सिमट गई  सहुलियते  सब दायरे  में एक
कुछ  लोग  बहुत  खास  है  मेरे  शहर  में 

दम  घोट  रही  गाडियां  दहेज  किस्त की
हर मोड़  पे  फसी  अवाम है  मेरे  शहर में

 उलझा  दिया  ऐसा  कमीशन  ने  सबको
सुनता  नहीं  कोई  बात  है   मेरे  शहर  में

रंजीदा अमीरे शहर है  बदहाली पर"सरल"
इस गम में  पी रहे  दिन रात है मेरे शहर में

                       सरल कुमार वर्मा
                               उन्नाव,यूपी

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