शीर्षक :- कितना वक्त लगता है ?.....
कितना वक्त लगता हैं किसी के 'जाने'
को स्वीकार करने में ?
कितने वक़्त बाद हम सहज हो पाते हैं
इस बात को मान लेने में की
अब वो हमारे साथ नहीं हैं ?
कितना वक्त लगता हैं मन के भीतर
बिखरी यादों को
सहेज कर आगे बढ़ने में ?
कितना वक्त लगता है टूटे दिल
की किरचियों को समेटने में ?
कितना वक्त लगता है
किसी की यादों की गहराई में
थाह ढूँढ लेने के बाद
बेमन वापस लौट जाने में ?
कितना वक्त लगता है
सावन के हरे से निकलकर
पतझर के पीलेपन तक के
सफ़र को तय करने में ?
कितना वक्त लगता है
आत्मा को देह से निकलकर
महज़ एक याद बन जाने में ?
मेरा मन सवालों की पोटली लिए
फिर रहा इधर-उधर..
शायद कभी कोई जवाब टकरा जाए।
लेकिन तुम बताना मुझे की
कितना वक्त लगता है
किसी सवाल के जवाब हो जाने में ?
©️ मुकेश चंचल
Post a Comment
0Comments