ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

अल्फाज़


मिला ना कोई “दिल” का राजदार इस जमाने में…

दिल का “शीशा” टूट गया देखने और दिखाने में..!!

बहुत खास थे कभी नजरों में किसी के हम भी

मगर नजरों के तकाजे बदलने में देर कहाँ लगती है !!

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