ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

एक सवाल हमारा भी-आदित्य कुमार

एक सवाल हमारा भी
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“तंबाकू खाने से कैंसर होता है” ये लाइन आपको हर गुटका के पैकेट पे लिखा मिल जाएगा, इसका सेवन करने वाले इसको अक्सर नजरंदाज कर देते है।
खैर, हम यहां इसका सेवन करने वालों से नही बल्कि इसका उत्पादन करने वाले और इसके सहायकों अर्थात सरकार से प्रश्न करते है
यदि तंबाकू/गुटका सरकार की नजर में हानिकारक है तो वो इसे पूर्णतः प्रतिबाधित क्यों नही कर रही?
क्या कारण है कि पैकेट के पीछे मात्र एक चेतावनी छापकर इसे खुलेआम बेचा जा रहा है??

अब यहां कुछ महा ज्ञानी लोग कहेंगे की “भारत की एक बड़ी अर्थव्यवस्था इससे ही चलती है, इस कंपनी के टैक्स से”

तो एक बड़ा सवाल यह भी है कि,
अगर यह अर्थव्यवस्था के लिए इतना ही महत्वपूर्ण है, 
तो 
इसके पैकेट के पीछे चेतावनी लिखने की क्या जरूरत??
कुछ क्षेत्रविशेष में ही इसे प्रतिबंधित करने की क्या जरूरत??

केवल एक चेतावनी लिखकर शायद इसके उपभोक्ताओं के जान से खिलवाड़ नही किया जा रहा?
क्या सरकार ये कहना चाहती है की “हमने चेतावनी दिया अगर तुम फिर भी इसका सेवन करो तो ये तुम्हारी गलती”
मेरा प्रश्न साफ साफ यह है कि अगर ये जहर है इससे कैंसर होता है तो आखिर इसे बिकने क्यों दिया जा रहा है?

अब यहां वही महाज्ञानी लोग कहेंगे की “बिकता तो जहर भी है, उसे क्यों नही खरीदता कोई?”

उन्हें ये बता दूं कि जो जहर बिकता है वो इंसान के लिए नही बल्कि चूहे मारने की दवा, फसल बचाने की दवा या फिनायल के रूप में बिकता है, मतलब वो इंसान के लिए नही है। 
मगर ये तंबाकू इंसान के लिए ही बना एक जहर है।

एक ओर चेतावनी लिखकर दूसरी ओर कुछ बेशर्म नेता और अभिनेता स्वच्छंद रूप से इसका प्रचार कर रहे है।
ये सब सरासर एक ऐसी राजनीति को प्रदर्शित करता है, जो इंसान के जान से खेला जा रहा है।
यही था, एक सवाल हमारा भी, अब इसपर एक सवाल आपका भी* होना चाहिए।

                                  – आदित्य कुमार
                                        (बाल कवि)

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