हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
हिंदी से परहेज।
लव करें अंग्रेजी में, प्यार हिंदी में खत्म हुआ।
गोड ब्लैस अब कर रहा, खत्म हुई ईश्वर की दुआ।।
मानसिक गुलाम हो गए, अंग्रेजी को समझें सबकुछ।
टाई वाले बाबू बन गये, घुम रहे कटाकर मूंछ।।
टाटा बाय बाय सिख रहा, जो बच्चा है दूधमुंहा।
भारतीय सब ऊपर से हैं, भीतर बैठा है अंग्रेज।
एक दिन ही सब याद करें, बाकी है हिन्दी से परहेज़।।
किसी का बुरा करने से भी, नहीं लगती अब बद्दुआ।
मातृभाषा से प्यार करो, जो सबको यह बताते हैं।
अपने बच्चों को सब, कान्वेंट में पढ़ाना चाहते हैं।।
कहीं के भी अब रहे नहीं, हर कोई हो गया कलमुंहा।
रिश्ते भी निभा रहे इंग्लिश में, हिंदी पीछे छोड़ दी।
गुलामी से भी ज्यादा सबने, अपनी हदें तोड़ दी।।
चाची ताई आन्टी बना दी, साथ में मिला दी बुआ।
चीन और जापान भी बिन इंग्लिश आगे बढ़ गये।
तरक्की हिन्दी में भी है पर, अंग्रेजी के हत्थे चढ़ गये।।
राजेंद्र सिंह भी इस उम्र में अंग्रेजी का ही गुलाम हुआ।
भारत में हिन्दी के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है जैसा इस चित्र में जबरन एक पशु को ऊपर चढ़ाया जा रहा है जबकि यह सीढ़ियों और पहाड़ों पर अपने आप ऊपर तक सामान पहुंचाता है।
राजेन्द्र सिंह श्योराण।
Post a Comment
0Comments