#दिनांक:-5/9/2024
#शीर्षक- नर से नारायण |
जैसे,
लहरों के लिए,
किनारों की,
जरूरत होती है!
आसमान को,
चमकाने के लिए,
सितारों की,
जरूरत होती है!
अपने आप को,
परखने के लिए,
पैमानों की,
जरूरत होती है!
पैमाना जो
सिखाता है,
पूरे जीवन का सार,
संक्षेप में बताने के लिए,
उदाहरण की खोज करता है!
अंधकार को
मिटाने के लिए
उजाले की
जरुरत होती है !
हमारा अस्तित्व,
बताने के लिए,
हमें 'नर से नारायण',
बनाने के लिए....
जो अकथनीय निरंतर,
प्रयास करता है,
बस उसी का नाम
गुरु माँ, गुरु है,
ऐसे गुरु चरणों में,
निछावर आजीवन मैं,
दण्डवत प्रणाम है
नमन बारम्बार है ।।
(स्वरचित, मौलिक)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
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