मकर संक्रांति पर्व-अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी पूरनपुर, पीलीभीत उप्र



मकर संक्रांति पर्व

सूरज ने बदली अपनी चाल,  
संक्रांति का पर्व लाया खुशहाल।  
उत्तरायण की ओर बढ़े सूर्य देव,  
धरा पर फैला उजियारा नव।  

तिल-गुड़ से मीठे बने संबंध,  
पर्व है यह प्रेम और आनंद।  
पतंगों की रंगीन उड़ानें देखो,  
आकाश में सपनों के पर बांधो।  

गाय और गंगा का पूजन करें,  
दान-पुण्य से जीवन को धन्य करें।  
खेतों में लहराते फसल के गीत,  
कृषक के जीवन में भर दें प्रीत।  

संक्रांति का यह संदेश सिखाए,  
हर मन को सच्चाई से जोड़े जाए।  
मिलजुलकर हर पर्व मनाएं,  
प्यार और सौहार्द्र बढ़ाएं।  

इस मकर संक्रांति पर करें यह प्रण,  
धरती को सजाएं हरियाली के संग।  
तिल-गुड़ बांटें, रिश्तों को जोड़ें,  
सुख-समृद्धि से जीवन को मोड़ें।  

अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी 
पूरनपुर, पीलीभीत उप्र 


















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