जो अँधेरों से ना डरें, वही दीप जलाते हैं।
जो गिरके फिर संभलते हैं, वही मिसाल बनते हैं,
जो काँटों पर भी चलते हैं, वही कमाल करते हैं।
छोटे मत आँक अपने को, तू खुद में एक प्रकाश है,
तेरी हर कोशिश तेरा, एक नया इतिहास है।
चल, तूफ़ानों से लड़, समंदर भी झुक जाएगा,
तेरे हौसले के आगे, आसमाँ भी रुक जाएगा
कवि अखिल मिश्र (गुरुजी )
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