ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

शिक्षिका हूं मैं , ✍️ प्रीति दास प्रधान


शिक्षिका हूं मैं , 
ज्ञान का दीपक जलाती हूं  
शिक्षा के साथ बच्चों को
संस्कार देने की जिम्मेदारी 
महसूस मै करती हूं।
तनख्वाह ठीक ही पाती हूं ,
अपने बच्चों को चीजें अच्छी खिला पाती हूं ।
हर शौक उनके पूरा करती, समय कम दे पाती हूं।
एक दिन अपनी कक्षा में बच्चों को फटकारा 
मुंह में क्या रखे हो
दिन भर मुंह चलाते हो..
आदत अच्छी नहीं यह
क्या घर से खाकर तुम न आते हो।
विद्या का मंदिर है ये,
बात अच्छी नहीं 
पढ़ते पढ़ते खाते हो ,
कक्षा नौ मे आ गये
अब भी कुछ न सीखते हो।
बच्चे सहमकर मौन हुए ,
मै भी कुछ नरम हुई ,
बोली बेटा च्यूइंगम क्यों खाते हो?
जवाब सुनकर दहल गया दिल ,
मेरी सारी डिग्री रह गई  धरी
च्यूइंगम  थू कर आया 
उदास होकर बोला बच्चा -
'मैम भूख लगती है"
चुप हो गई मै ,
बस लगी सोचने,
मेरे देश के नौनिहालों 
क्या हाल तुम्हारे 
तुम्हारे विकास की बातें करते
कहां हैं वो भरेपेट वाले?
सारी योजनाएं कागज में संसद में हंगामे।

                                         ✍️ प्रीति दास प्रधान

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