ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मौन रह कर भी सब कुछ कहना एक कला है........

मौन रह कर भी सब कुछ कहना एक कला है........

मौन......

हर बात का जवाब
संजय भाटिया
देना ज़रूरी नहीं होता,
खामोश रह कर भी
दिए जाते हैं कुछ जवाब,
मौन को समझना
भी होता है ज़रूरी
ये विरोध है या
आपकी स्वीकृति,
निर्भर करता है
कैसी है आपकी प्रकृति
पहले पढ़ना सीखें
सामने वाले की
मनस्थिति......
अपने मन को पढ़
सकता है कौन
इक उथल पुथल सी
बस ऊपर से रहता मौन,
समय पर छोड़ दो
कुछ बातों के उत्तर,
समय से बढ़ कर है कौन,
आँखे बन्द कर के
झाँको खुद के अन्दर,
है बहुत अशान्त
ऊपर से मौन,
सीखो इसको वश
में करना,
समझो खुद को
तुम हो कौन,
हर सवाल का उत्तर मौन।
हर सवाल का हल मौन।।

✍️संजय भाटिया
डी एल एफ़ 3, गुरूग्राम।
हरियाणा।
 

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