ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

जो तुम न आये

जो तुम न आये
मेरी सुबह होगी …
न शाम जो तुम न आये।
अपने कसूर ढूंढती ,
बैठी रहूंगी दिल हार …
जो तुम न आये।
अधूरा रहेगा श्रृंगार ‌‌,
आंखें राह तकती  
 खुला रहेगा द्वार..
जो तुम न आये।
फूल कुम्हला जायेंगे ,
बगिया रोयेगी जार जार…
जो तुम न आये।
हवा भी न महकेगी,
धूप लगेगी खार ..
जो तुम न आये।
प्राण तरसेगी देह छोड़ने ,
पर न निकलेगी वह…
तन मन जाऊंगी वार 
जो तुम न आये।

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