ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मुस्कान होंठों पर आ जाती है-प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

शीर्षक:-मुस्कान होंठों पर आ जाती है


फ़ुर्सत में अक्सर  मैं,
मीठे  सपनों में खो जाती  हूँ,
लंगोटिया , स्कूल औ'  कालेज के 
दोस्तों के, बीच ख़ुद को पाती   हूँ,
बचपन की सहेलियों सँग  ऊधम मचाना, 
कभी लड़ना कभी  झगड़ा करवाना, 
स्कूल के दोस्तों से कहासुनी करना ,
फिर मिलकर नये क्षितिज  को,
छूने  की पुरज़ोर  कोशिश करना, 
छूटते जा रहे पुराने दोस्त ज़िंदगी में, 
दिल हुलसा नये मित्रों की ख़ुशी में , 
बचपन उड़ गया पंख लगा 
यौवन आया भरा भरा 
खुली बाँहों का विस्तार बढ़ा  
दिल से दिल का प्यार बढ़ा 
दिल के और नज़दीक आ गया दोस्त 
मेरी रूह में बसने लगा 
कभी  मेरी रूह बनने लगे ,
हमारी यारी से गुलज़ार  हुआ कॉलेज , 
दोस्त जब साथ हो,
हर मंज़र ख़ुशनुमा हो जाता है    , 
ऐ दोस्त ! तू बहुत  याद आता है, 
कॉलेज का वो सुनहरा दिन,
सचमुच बहुत सताता है, 
आज सब परेशान हैं अपनी दुनिया में ,
पर जब-जब दोस्तों की याद आती है, 
बेसाख़्ता ,
मुस्कान होंठों पर आ जाती है |


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प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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