विषय : मातृ भाषा हिन्दी
विधा- मुक्तक
हिन्दी पे हमे है गर्व हिन्दी मातृ भाषा है,
हिन्दी हिन्द की है शान हर अरमान आशा है,
हर बात समझने की तमन्ना पूर्ण करती जो,
अन्तर्निहित अभिव्यक्ति ऐसी एक खासा है।।
हिन्दुस्तान हृदय तल में बसा हिन्दी हमारा है,
हर भाष कठिनता अर्थ ओ समझन सहारा है,
देवनागरी लिपि लिखित खास लिपियों का,
नव रस गुणों की खान ओ हिन्दी भंडारा है।।
सदियों से रही चर्चित सदा ओ हिन्द की हिन्दी,
श्रृंगार रसों का राज मानों आज भी जिन्दी,
अलंकार,मुहावरे, छंद नेको खान हैं जिसमें,
ओ मानों सुशोभित भाल पे जैसे लगी बिन्दी।।
हिन्दी मातृ भाषा में लिखित संविधान है,
हिन्दी राज भाषा हिन्द की जय हिन्द शान है,
हृदय तल से सदा संम्मान कारुष कर रहे हिन्दी,
जन्मों से सदा मृत्यु तके हिन्दी जुबान है।।
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कलम से
कमलेश कुमार कारुष
मिर्जापुर
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