शत नमन है वर्तिका
तूलिका और वर्तिका, हैं कर्म ज्योति संगिका,
अग्नि उर में वासिका, हैं उर्मि की ये दीप्तिका।
पथ प्रशस्त कर रही, पंथिका, वन, वीथिका,
तल-वितल सुतल करे, अग्नि जिह्व तूलिका।
है मसि व स्नेह प्राणिका, सर्जिका, संचायिका,
है तिमिर की शोषिका, ज्योति पुंज प्रसारिका।
संधानिका कलुष की ये, सर्जना प्रलब्धिका,
ज्योत्सना संवाहिका, है तिमिर की भंजिका।
धुंधलिका निष्प्राणिका, कज्जली विद्रुप्तिका,
स्मिता, प्रकाशिका, प्राजल्वमान ज्योतिका।
है मधुलिका की साधिका, तमा तमिस्र पानिका,
ये विभावरी विभूषिका, है चँद्र चूड़ केशिका।
हे अमृती मृत्योर्मा, हे सत्य पथ की दर्शिका,
शत नमन है तूलिका, शत नमन है वर्तिका।
चन्द्रगुप्त प्रसाद वर्मा "अकिंचन",गोरखपुर।


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