आज का सवालविषय - धर्म क्या है?
धर्म जीवन जीने की एक कला है।सच्चा धर्म वही होता है जो इंसानियत, मानवता, समता, ममता एकता, वैज्ञानिकता, एवं तार्किकता की भावनाओं से ओत-प्रोत होता है।हमे ऐसे बनावटी धर्मों का परित्याग कर देना चाहिए जहां पर अमानवता,इंसानियत का अभाव, जातीय भेदभाव, अस्पृश्यता( छूआ छूत) के दुर्भावनाओं का भंडार हो। ऐसे कृत्य धर्म के अंग नही हो सकते पर दुर्भाग्य इसी कृत्य को बहुत से लोग धर्म मान बैठे हैं जो कि नितांत गलत है। धर्म की प्रगति के लिए कुछ सुझाव इस तरह हैं-
जिस तरह ऊंच-खाल जमीन अच्छे अनाज को नही पैदा कर सकतीं, उबड़-खाबड़ सड़कें किसी भी वाहन को उचित चाल नही प्रदान कर सकतीं,ठीक उसी तरह कोई भी धर्म जो भेदभाव, ऊंच-नीच,छूआ-छूत की भावनाओं से युक्त हो आगे कभी प्रगति नही कर सकता क्योंकि असमानता की खाई किसी भी लक्ष्य को पाने में बाधक होती है। अतः धर्म की प्रगति के लिए भेदभाव की खांई समाप्त कर हर इंसान को इंसानियत के नाते हर इंसान से भेदभाव से रहित होकर उचित इज्जत देते हुए धर्म को आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए
कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष
बबुरा रघुनाथ सिंह हलिया,मीरजापुर

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