गजल
अजनबी था , अजीज हुआ फिर से अजनबी हुआ है।
एक दोस्त मेरा खामखां मुझ से खफा हुआ है।।
ऐसा ना हो कभी मिले तो तेरा दिल ये कहे।
यह शख्स तो मेरा कहीं देखा हुआ है।।
रूठ कर वक्त गवानें ने की जरुरत क्या है।।
फूल सा दिल है अ दोस्त सभांले रखना।
मुरझा आ गया तो पता लगेगा कि खुशबू क्या है।।
हम भी खफा हो गए तो मनाओगे कैसे
तुमने अपने आप को समझा क्या है।।
© आलोक अजनबी

0 Comments