शीर्षक :- बस मुझे महसूस करे।
भाग:- 1
ख्याब बहुत बडे हैं,
पूरा करना चाहती हूॅ,
ख्वाहिशें अधूरी हैं,
पूरा करना चाहती हूॅ,
करीब किसी के नहीं,
किसी की होना चाहती हूँ,
मन का,एक हिस्सा खाली रह गया है ,भरना चाहती हूँ,कोई कोर्ट परिसर सा नहीं,बस दलील हक से सुनाना चाहती हूँ।
दोस्ती की हदें पार हों,
ऐसा कोई दोस्त चुनना चाहती हूँ।
तमाम खड़े हैं राहों को घेरे,
सुरक्षित उनसे होना चाहती हूँ।
कब क्या कैसे वाला प्रश्न नहीं ,
बिना बोले समझाना चाहती हूँ।
इंतजार है ,अभी भी किसी का ,जिससे,हर सुख-दुःख बांटना चाहती हूँ।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई



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