ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

गुरु से सुमंगल-आलोक अजनबी

गुरु से सुमंगल

गुरु की छाया में जो आ गया।
उसके जीवन में सुमंगल आ गया।।                                
गुरु के चरणों में रखा अहंकार जिसने।
वही गुरु का सानिध्य पा गया।।

गुरु के कटु वचन जीवन को आकर दे।
गुरु की सेवा से मोक्ष के द्वारा खुले।
कठिन परीक्षा को पार जो पा गया।
उसके जीवन में सुमंगल आ गया।

गुरु की छाया में शरण जो का गया।
उसके जीवन में सुमंगल आ गया ‌
उसके जीवन में सुमंगल आ गया आ गया।।

आलोक अजनबी

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