ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

जुबानी-सरल कुमार वर्मा

बड़े खुदगर्ज है  जो कह रहे अपनी जुबानी है
दिलो को तोड़ने का खेल ही उनकी कहानी है

जरा सा मुल्क के हालात पर भी गौर फरमाए
हर छलकती आंख  में उनकी ही मेहरबानी है

गमों का जो सफ़र  तय हो  रहा  है आजकल 
सभी को रहनुमा के प्यार की जिंदा निशानी है

कहीं  सुना था  दुनिया महज  चार  दिन की है
मस्ती  में  कट जाएगी अभी बाकी  जवानी  है

कटी जब उम्र आधी तब कहीं चिंता हुई"सरल"
बड़े लोगो के संग थे सोचा नहीं रोटी कमानी है

                                   सरल कुमार वर्मा
                                     उन्नाव, यूपी 

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