ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

कुछ और लिख गये-प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

शीर्षक:- कुछ और लिख गये

आज मुहब्बत से मेरी मुलाकात हुई,
जानेमन कहकर ढेर सारी बात हुई, 

तन्हाई को दरवाजे के बाहर, 
पहरा के लिए रख छोडा था, 
मुस्कान को लबों ने पकड़ रखा था।

दहकती चंचल शोख हसीना बन गई थी मैं ,
यौवन की चपल चितवन सी तन गई थी मैं,

दिल की धड़कन की तेज बहुत तेज रफ्तार ,
मन में मचा था खुशी का अजीब चीत्कार ,

खुशी मिली इतनी कि आवाज गुम हुई,
भाव तो बहुत आये पर जुबॉ बेदम हुई ।

कविता प्रेम पर लिखनी थी, कुछ और लिख गये ,
बेपनाह मोहब्बत की चादर में,गुमनाम बन गये ।

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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