ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

लड़ते है दो देश मरता है इंसान - बालकवि आदित्य कुमार

लड़ते है दो देश मरता है इंसान (कविता)
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लड़ते है दो देश मगर मरता है इंसान,
हाय! एक दिन ले डूबेगा शक्ति का अभिमान,

हथियारों के बल पर नाच रहा कोई अज्ञानी,
लेकिन सैकड़ों लोगों को पड़ती है जान गवानी,

हर एक मंजर मौत बना है हर पल नाचे काल,
मृत्यु देखो हर पग पग पे फैला रही है जाल,

परमाणु हथियारों पे वो करते हर पल नाज,
सब कुछ मिट जाएगा उससे नहीं उन्हे अंदाज,

कल का सूरज दिखे ना दिखे सोचे वो हर शाम,
लड़ते है दो देश मगर मरते है इन्सान,
हाय! एक दिन ले डूबेगा शक्ति का अभिमान।

                     - आदित्य कुमार
                          (बाल कवि)

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