ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सर्व सुख फुलवारी-कमलेश कुमार कारुष मिर्जापुर

सर्व सुख फुलवारी

यूं दर्द भरी जिन्दगी किसको सुनाएं।
सभी देखन चाहते किसको दिखाएं।।

हाल किसी से भी पूछें सभी हैं बताते।
है जिन्दगी हुयी बेकार यही हैं जताते।।

दुख पाने का कारण दूसरों को सताना।
ओ कर करके शोषण यूं पैसे कमाना।।

ऐसे धन नही टिक पाते होते बर्बाद। 
होते लोग रोगी छिने सब आजाद।।

ओ लोग ऐसे पैसे पानी तरह बहाते।
मस्तियों में डूब डूब मस्त से नहाते।।

पता नही चलता कहां खो गये ए धन।
मुसिबत पहाड़ टूटते खिन्न खिन्न मन।।

नाजायज धन जीवन में बुराइयों को लाती।
यूं रहता नही याद कहां दौलतें ए जाती।।

कर्म तुम्हारे हाथ में जैसे करते जाओगे।
वैसे फल जीवन में सदा सदा पाओगे।।

सुख पाने के वास्ते ईमान को जगाना।
मेहनत से दौलत रोटी खाना व खिलाना ।।

यही विधी जीवन में लाएगी सुख।
सर्व सुख फुलवारी नही होगा दुख।।

कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष 
मिर्जापुर

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