ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

आओ मिलकर दीप जलाये-अनूप "एकलव्य" बाराबंकी उत्तर प्रदेश

आओ मिलकर दीप जलाये।

कदम बढ़ा कर चलते जायें। 
पीछे कदम कभी मत लायें। 
नई किरण सुबह आयेंगी। 
मुश्किल का हल लायेंगी। 
हर मुश्किल हल हो जायें। 
आओ मिलकर दीप जलायें।।

घना अंधेरा चारों ओर। 
नहीं मचाये हम सब शोर। 
उम्मीदों की बांधे डोर। 
पंक्षी जागे हुआ है भोर। 
भोर हुआ तिमिर हट जायें। 
आओ मिलकर दीप जलायें।।

मन में रखना तुम विश्वास। 
नहीं छोड़ना कभी भी आस। 
हिम्मत करके बढ़ते रहना। 
करते रहना है प्रयास। 
हर प्रयास सफल हो जायें। 
आओ मिलकर दीप जलायें।।

गली मोहल्ला या घर-द्वार।
मन मंदिर पूरा परिवार।
जगह-जगह हम दीप जलायें। 
रहे प्रकाशित यह संसार। 
संसार प्रकाशमय हो जायें। 
आओ मिलकर दीप जलायें।।

अनूप  "एकलव्य" 
बाराबंकी उत्तर प्रदेश
कवि लेखक समाजसेवी एवं पर्यावरण सैनिक

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