ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

रचना का शीर्षक है ,दीवाली,-हरेन्द्र विक्रम सिंह गौड़ घायल परिंदा

रचना  का शीर्षक  है ,दीवाली, ।

दीप दीवाली के जले आगमन पर दुनिया हुई दीवानी।
चौदह वर्षों का तप करके आ रहे श्रीरामचंद्र विज्ञानी ।।
रावण के संग जल गई उसकी पापों की रजधानी।
सत्य धर्म के आगे पापी हार गया अभिमानी।।

विजयघोष सुनकरके जनता बहुत हुई मस्तानी। 
जैसे मानो कोई भयानक इक हवा थमीं तूफानी।।
अंधकार ,असत्य,अधर्म की खतम हुई शैतानी।
सभी देव दिल से हर्षाये शिवशंभू संग भवानी ।।

बुझे हुए मन के दीपों को फिर से मिली रोशनी। 
काली रात अमावस में जैसे एकदम खिली चांदनी।।
इंतजार सब खत्म हो रहे दुनिया लगे सुहानी ।
श्रीराम आ रहे हैं वन से इक रचकर नई कहानी ।।

दिव्य अलौकिक लगता सब कुछ सबकी यही बयानी ।
श्री राम जी राजा होंगे और सीता जी होंगी रानी ।।
गली और चौबारे दमके, दमकें कुटियां सभी पुरानी।
पलक बिछाए राह ताकती जनता दिल से हर्षानी ।।

आज खुशी फिर से ले आई बूढ़ों में नई जवानी ।
खुशियों में कुछ छलक ही आया आंखों में फिर पानी।।फिर आज अयोध्या अपनी लगती जो लगती थी बेगानी।
युगों -युगों तक बनी रहेगी उनकी मर्यादा की निशानी ।।

दीप दीवाली के जले आगमन पर दुनिया हुई दीवानी। 
चौदह वर्षों का तप करके आ रहे श्रीरामचंद्र विज्ञानी।। 
जय हिंद ,जय भारत ,जय सियाराम, जय साहित्य, शुभ दीपावली ।
सादर
हरेन्द्र विक्रम सिंह गौड़ 
घायल परिंदा

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