बदलता हरियाणा
ना गाय रही ना भैंस रही, फेर बी चलरया यो गाणा सै।
हरियाणा मं आओ सारे, जड़ै दूध दही का खाणा सै।।
पहरावा बी इसा चालग्या, सब पहरैं जीन्स और टॉप।
पश्चिम आऴी हवा नै आकीं, म्हारै छूरा दिया सै घोंप।।
ना धोती ना रहया घाघरा, न्यूं कहैं म्हारा देसी बाणा सै।।
सारा कुनबा रऴ मिल के न, ब्या शादी करया करदे।
कोय भाई रुस न जावै, सब इस बात तं डरया करदे।।
इब चलन वैंकेट हाल का, ना किसे न कोये बुलाणा सै।।
पडौसी बी सब खुश होया करदे, किसे क वाणे ठाणे मं।
इब किसे क खुशी होवै तो, पड़ोसी पहुंचज्या सैं थाणे मं।।
पहले शहर में होया करदा, इस गाम गाम मं थाणा सै।
जात पात का जहर फैलग्या, सब रऴ मिलके रहया करदे।
जातियां के नाम ले लेकीं बी, हांसी ठठठे होया करदे।
आज हरेक बात मं ए, एसी एसटी एक्ट लगाणा सै।।
के होगा इस दुनिया का, या बात समझ मं ना आ रही।
राजनीति बी धर्म जात तैं ए, अपणी सरकारें बणा रही।।
राजेन्द्र सिंह न दुखी मन तं, बणाया यो गाणा सै।
राजेन्द्र सिंह श्योराण।

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