ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

दिनकर- दिनेश सेन शर्मा प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

दिनकर

सप्तरंग के अश्वों पर चढ़कर।
चले आ रहे हैं दिनकर।

सिंदूरी हो गया गगन, धरा।
चहुंदिस दिखे हरा भरा।
तिमिर बैठ गई छिपकर।

विहग वृक्षों पर चहक उठे।
तुहिन कण मोती सा चमक उठे।
खुश हुए कमल दल खिलकर।

समस्त प्राणी जग गए।
दिनचर्या में लग गए।
थालियां चली मंदिरों में सजकर।

बैलों को लेकर चले कृषक।
 खेतों में करने श्रम अथक।
 टपके पसीना बारिश बनकर।

धूप आ रही वृक्षों से छन छन।
 हर्षित हो उठे जन तन मन।
 बह रही हवाएं अति रुचिकर।

 स्वरचित
 दिनेश सेन शर्मा
 प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

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