ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

इन्सानियत - प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

शीर्षक:-इन्सानियत 
जिन्दगी की क्या है बुनियाद ?
मरना है एक दिन सबको रखिए याद ,
फितरत हर इंसान की इंसानियत की है ,
पर मर रहा इंसानियत किससे करे फरियाद ।

इंसान से इंसानियत की मांग बस इतनी सी ,
झूठ फरेब से दूर अच्छाई अपनाओ ,
पीड़ित नहीं करो किसी को ,
सबके प्रति दयालु बन  ।

अच्छे कर्म का लेखा-जोखा ,
युग-युगांतर तक गाया जायेगा, 
बुराई तो मरने के साथ पूरा मर जायेगा ।

मिलना सबसे हो जाता है, 
पर इंसानियत से और सच्चे प्रेम से मुलाकात ,
कभी-कभार ही हो पाता है, 
मजहब के तराजू पर इंसानियत को तौलते हैं ,
इंसान खुद की इंसानियत को मूल्यहीन बोलता है ।

मैं, तुम से ऊपर है इंसान, 
दरअसल भगवान से उच्च है इंसान ,
धरा पर आने को आतुर रहते हमेशा ईश्वर ,
पर अपनी ही इंसानियत बेच खाता है इंसान |
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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