मै फक्र से कहती हूं
मेरे पास भी दोस्त है,
अंधेरी रातो मे खड़ा मेरा प्यार है,
मुझे रोशनी देता वह चाँद है ।।
हाँ मै चाँदनी नहीं,
मैं तो फूल हू जिसे पाने उसने
काटो से रिश्ता जोड़ा है ।
मेरे पास दोस्तों की महफिल नही
मेरा दोस्त ही मेरी महफिल है
चाँदनी रात मे खड़ा है
मेरे साथ चलता है
बेशक मेरे पास नही ,
उसकी रोशनी की कारणों से मुझे लपेटता है।
मै भी फक्र से कहती हु ,
मैं भी चाँद से दोस्ती रखती हू
मैं उसके साथ नही ,
मगर उसके खुशबु से टकराती हूँ ।
नौशाबा जिलानी सुरिया

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