मंजिल
अपने अपने रास्ते अपनी अपनी मंजिल।
जैसे जिसके कर्म हैं वैसी उसकी मंजिल।
करो निरंतर मेहनत जमके खिल जाए रंग रूप।
जीवन पथ रोशन हो जावे चमके दिव्य स्वरूप।
सत्य मार्ग पर चलते जाओ गढ़ देना इतिहास।
चाहें जितनी निंदा होवे चाहें हो परिहास।
आरोपों को सहते जाओ हंसकर सहो प्रहार।
दुश्मन भी लज्जित हो करके हो जाए लाचार।
सफल व्यक्ति की निंदा होती वक्त परीक्षा लेता।
सफल वहीं प्राणी हो पाता जो वक्त मार सह लेता।
निंदक नियरे राखिए बढ़ जाए सम्मान।
रंग रूप सब खिल जाएगा बढ़े दिव्य पहचान।
आलोचक से कभी ना डरना पथ पर चलते जाओ।
बाधाएं कितनी भी आएं तनिक नही घबराओ।
कलमकार दिनकर की कविता देती यह सन्देश।
तीन देव रक्षा करें ब्रह्मा, विष्णु, महेश।।
✍🏽📚
पंकज सिंह दिनकर
(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश
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