विषय- दिवाली की सफाई
विधा- हास्य -व्यंग्य कविता
हाय मैने शादी करके...मुसीबत गले लगाई
सुबह-सुबह बीवी की चिक चिक.. करती मेरी तवाई
दीपावली क्या आई यारों.... मेरी मुसीबत आई
रोज सुबह को ऑर्डर मिलता...कर लो यहांँ की सफाई
एक कप चाय के बदले.... बातें खूब सुनाई
कहती अब पेट्रोल दे दिया.... कर दो शुरू सफाई
कहती घर चमक दो सारा... कर लो जरा धुलाई
पकड़ा देती झाड़ू हाथ में... अच्छे से करो सफाई
घर है सबका...काम करो सब... देता यही सुनाई
बात सही है उसकी लेकिन.... हमें समझ ना आई
काम करते देख मुझे वो.... ख़ुशी से जब मुस्काई
फस गया उसकी बातों में...ये बात समझ में आई
🌹 स्वरचित श्वेता गर्ग🌹
ग्वालियर मध्य प्रदेश
.jpeg)

0 Comments