शीर्षक:-राम के आगमन पर।
पूरी नगरी में मंगलगान हो रहा,
हर घर दीपों से सजाया जा रहा।
हरिद्वार, पुरी, काशी या हो अयोध्याधाम,
स्वागत को आतुर जन-जन, नाम जिनका राम ।
सजा रहे नगरी और अपना धाम,
क्या देवता क्या प्रजा, खुशी से सब हो गये हैं आम ।
चौदह वर्ष का कठोरतम पीड़ादायक वनवास,
साक्षी निषाद,भील;बन्दर,शबरी के बेर खास।
तरसे नयन सरकार राम के दीदार को,
आकर सम्भालों प्रभुवर महाराज के किरदार को ।
स्वागत है शुभ घड़ी अमावस की रात का,
मर्यादा पुरुषोत्तम विजयी श्रीराम का ।
उत्साह से कर रहे सफाई पुरुष और उनकी घरवाली,
राम के आगमन पर दीप जला मनायेंगे दिपावली ।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई


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