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विषय : साहित्य और सोशल मीडिया
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साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है। चिरकाल से लेकर आज तक साहित्य ने मानव जीवन को सदैव ही प्रभावित किया है। देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने में उस समय के साहित्य की अहम भूमिका को आज कोई भी नकार नहीं सकता है। इसीलिए तो कलम की ताकत को तलवार की ताकत से भी ज्यादा ताकतवर माना गया है।
अभिव्यक्ति के माध्यम में समय-समय पर काफी बदलाव होते गए हैं। शुरू में लोग भोज-पत्रों पर लेखन कार्य करते थे, फिर कागज पर लिखा जाने लगा, लेकिन अब टीवी, इन्टरनेट, कम्प्यूटर और मोबाइल की दुनियां में किताबों को भला कौन पढ़े,,,? इसलिए वर्तमान में सोशल मीडिया ही संचार का सबसे बड़ा माध्यम बन है। आज गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्वीटर आदि के जरिए साहित्य को त्वरित गति से एक-दूसरे तक पहुंचाया जाने लगा है। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रचलन से कई नए लोगों को भी साहित्यिक प्रोत्साहन मिला है।
हां,,, सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आ रहे हैं। इससे साहित्य-चोरों को काफी बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन फिर भी हमसब इसके आदी होते जा रहे हैं। साहित्य का माध्यम चाहे कुछ भी हो, लेकिन साहित्य की गुणवत्ता सदैव कायम रहनी चाहिए। जरूरत इस बात की है कि सोशल मीडिया और साहित्य का आपसी सम्बन्ध समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रगतिशील हो, न कि पतनशील।
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✍️- तुलसीराम "राजस्थानी"
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