पहचान
स्वाभिमान में न झुकने का उसूल याद रखो
नहीं कोई है अपना, इतिहास खुद है गढ़ना
हर हाल में है चलना ये बात याद रखो,
जुर्मों से लड़कर शौर्य याद रखो
साहस का हर एक पर्याय याद रखो
अंधेरों में खुद को न बांधों
हर रिवाज का अभिप्राय याद रखो ,
खतरों से भरी दुनिया में अपना नाम याद रखो
दिए संग बाती में तेल का भी ध्यान रखो
अपनों के संग प्यार भाव से रहों पर
अपनी पहचान याद रखो,अपनी पहचान याद रखो
सिकंदर नहीं है कोई जन्म से
निर्भीक युध्द से लड़ा है जिसने
वीरता को गहा है जिसने
स्वयं के अस्तित्व को गढ़ा है उसने
दुनिया में पहचान को चुना है उसने
हर जंग में जीत याद रखो
समुन्दर संग दरिया का
अस्तित्व याद रखो
कोई मानें या न मानें
दुनिया में अपनी पहचान याद रखो
दुनिया में अपनी पहचान याद रखो।
(महाश्वेता राजे )
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