तमाम होम दिया
जिनकी
खुशियों की खातिर
सारे जगत से
संघर्ष किया
जिनके
सपनों की खातिर
कभी भी
हार नहीं मानी
जिन्दगी से
लड़ते-झगड़ते
वो आज हमसे
पूछ रहे हैं
तुमने जिन्दगी में
किया ही क्या है हमारे खातिर.
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✍️- तुलसीराम "राजस्थानी"
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