ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

भाई चारा

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      &भाई-चारा&
       (कुण्डलिया)
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भाई-चारा   बनाके  राखो,
आपस   में   मत   लड़ना। 
इर्ष्या, द्वेष से  बनाके  दूरी,
आंख किसी के मत गड़ना।।

आंख किसी के मत गड़ना,
समता ममता दिल में राखो।
ऊंच-नीच   की  खाई  पाट, 
मानवता   का   रस  चाखो।।

मददगार   होना  असहाय, 
बस  बनकर  एक  सहारा।
ताल-मेल यूं बनाके रखना,
बिगड़े कभी ना भाई-चारा।।

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कलम से✍️
कमलेश कुमार कारुष 
मिर्जापुर 
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