ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सपना

*सपना*

सपना सपना देखिए, 
सपना   हो   साकार।
सपनो के नव जग मे,
हो   सपना   आकार।।

हो   सपना   आकार,
आचारों से भरा हुआ।
सदा सत्य के राहों पे,
उन्नति पथ धरा हुआ।।

सपनों  के  भारत  में,
सत्य राह  को अपना।
सोने की  चिड़िया बने,
भारत कारुष  सपना।।

कमलेश कुमार कारुष
मिर्जापुर 
कलम से✍️

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