अपने मन में लक्ष्य बनाओ,
आगे जो है करना।
नित्य प्रयासों को कर करके,
हर दुर्लभता को हरना। ।
अगर राह में आये कठिनता,
कभी भी विचलित मत होना।
संघर्ष को जीवन मानके बन्धू,
नित्य सत के राहो में खोना। ।
साहस को रखके दिल में,
आगे को यूं बढ़ना।
मंजिल कितनी ऊंची हो,
पर धीरज धरके चढ़ना। ।
मकड़ी को जाले में देखो,
चढ़ती गिरती कितनी बार।
नित कोशिश कर कर वह,
पाती मंजिल का संसार। ।
करो अभ्यास नित बंधुओं,
और गुरू मानलो प्रैक्टिस।
कारुष मिली सफलता निश्चित,
फिर लगी सुनहरा हर इक दिश। ।
रचनाकार
कमलेश कुमार कारुष
बबुरा रघुनाथ सिंह
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