देवकी ने जन्म दिया यशोदा ने पाला।
नंद के घर आए जो, कहलाए नंदलाला।।
बाल रूप में काह्ना तेरी सूरत लगती प्यारी।
नंद गांव की हर एक छोरी तुझ पर थी बलिहारी।।
रारात को काह्ना सोचा करते अब कब होगी भोर।
सारे गोकुल में कहलाए तुम ही माखन चोर।।
रंगे हाथों पकड़वाने को जब पड़ोसिन आती।
नंद आंगन में देख तुम्हें दांतों तले उंगली दबाती।।
गायें काह्ना खूब चराते, खूब करते थे मस्ती।
तेरी शरारत पर तो ना काह्ना गोपिया भी हंसती।।
माखन चोर से द्वारकाधीश तक तुम्हें ना हुई थकान।
सारथी बन महाभारत जीती,दिया गीता का ज्ञान।।
आलोक अजनबी
रोहतक ( हरियाणा)
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