सर्दी में सर्द हवाएं क्या कमाल कर रही हैं।
कंबल और रजाई को रुमाल कर रही हैं।।
बीमार्ट वालों को और मालामाल कर रही हैं।
कमजोरो को और भी कंगाल कर रही हैं।।
गरीबों की इज्जत पर खड़ा सवाल कर रही हैं।
अमीरों के फैशन के लिए नई साल बन रही हैं।।
ये सर्द हवाएं जीवों के लिए जंजाल बन रही हैं।
बुजुर्गों ,मुसाफ़िरों के लिए काल बन रही हैं।।
सूरज की धूप के लिए ये दीवाल बन रही हैं।
कहे ,परिंदा घायल,
ये किरणों के उजालों पे जालों का जाल बन रही हैं।।
जय हिन्द, जय साहित्य
सादर घायल परिन्दा
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