ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

बसन्त नवीन आशाओं का संग्रह-प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

शीर्षक :- बसन्त नवीन आशाओं का संग्र
माँ शारदे के सम्मुख अवनत मस्तक हो, 
सरस्वती गायन को कोकिला स्वर प्रदत्त हो। 
दुख के पतझड़ का अंत सम्भव हो, 
बसंत नवीन आशाओं का संग्रह हो।

हंस वाहिनी माता की हर संतान हो,
आदर्श,सत्यवादी,विवेकी,बुद्धिमान हो। 
सदा तन ढ़कता तन का परिधान हो, 
ऋतिक में सब जन के लिए सम्मान हो।

ज्ञानदेवी की कृपा हमेशा हमारी आन हो, 
हर धर्म से ऊपर जनता धर्म महान हो। 
दलित सवर्ण नहीं हर जन समान हो, 
राग-द्वेष नहीं स्नेह का सम्मान हो।

सविता देवि! हमें ना कभी अभिमान हो, 
मन सदा प्रफुल्लित-शान्त, धैर्यवान हो।
अगाध विश्वास हर जन का स्वाभिमान हो, 
नवल उत्थान ताल छंद गीत अनुसंधान हो।

त्याग-तपोमय साहस,शील,हृदय विधान हो,
सत्य सहिष्णुता तन मन पावन का बान हो। 
भारतीय संस्कार संस्कृति हमारी जान हो,
माँ कर जोड़ विनती प्रतिपद्य की ऊंची उड़ान हो ।

(स्वरचित मौलिक)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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