ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मानसिक चेतना-भारत दास " कौन्तेय" सतना मध्यप्रदेश

मानसिक चेतना
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प्रकृति ने परिंदो को
पंख दिया है उड़ने के खातिर
वह उन्मुक्त गगन में
उड़ जाते सुबह सुबह पेट भरने के खातिर
कभी न संग्रह करते पेट भरने के खातिर
फिर भी कभी न वह भूखे मरते हैं
क्योंकि वह अपने परो में विश्वास करते हैं
कोसों मील चलकर अपना पेट भरते हैं।।

प्रकृति ने अपना सबसे अच्छा उपहार
दिया मानव जीवन को 
मन दिया मन भर का ज्ञान दिया , दिया बुद्धि का अनुपम भंडार 
फिर भी यह मनवा न जाने यह क्यों शोषित पीड़ित वंचित जीवन जीने को है लाचार 
मन , ज्ञान,बुद्धि की अनुपम काया लेकर फिर क्यों ढोता है बेगार।।

कहत भारत दास " कौन्तेय" कुछ तो करले 
मनवा अब सोच विचार।।

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भारत दास " कौन्तेय"
सतना मध्यप्रदेश

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