ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

व्यस्तता और उनकी उदासी-अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी

व्यस्तता और उनकी उदासी

वो व्यस्त हैं, ये अब तो रोज़ का हाल हैं ,
हर मुलाकात में बस बातें अधूरी सी बेमिसाल हैं ।
वक़्त है उनके पास, पर मेरे लिए नहीं,
और ये उदासी दिल में छुपी है कहीं।

कहते हैं, "काम बहुत है, फ़ुर्सत नहीं",
पर उनकी आँखों में छिपा एक सन्नाटा सा है।
ख़ुश दिखते हैं, मगर दिल उदास है कहीं,
उस हंसी में भी एक दर्द का प्याला सा है।

दिनभर की भागदौड़ में खो गए हैं वो,
पर रात की खामोशी उन्हें भी रुलाती होगी।
कभी वक्त था जब साथ बिताते थे लम्हे,
अब तो बस उनकी यादें ही रह जाती होंगी।

व्यस्तता ने छीन लिया है उनका सुकून,
और हमारी बातें भी अब खोने लगी हैं।
वो उदासी जो उनकी मुस्कान में छुपी है,
वो शायद कहीं गहरे जख्मो से आज भी दुखी है।

अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी
पूरनपुर, पीलीभीत (उoप्रo)


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