हमारी अधूरी दास्तां
कोड की पंक्तियों में उलझी है दास्तां हमारी,
बग की तरह छिपी है, फिर भी है वो प्यारी।
सिस्टम के लॉग में लिखा है जो अधूरा सा हाल,
हर एरर में छिपा है एक नया सवाल।
डेटा के बिंदु से जुड़ते हैं अनकहे ख्याल,
हमारी दास्तां भी है एक तकनीकी कमाल।
कभी सर्वर डाउन, तो कभी अपग्रेड की गुहार,
हमारी यादें रहती हैं सॉफ्टवेयर के बीच हर बार।
वायरलेस कनेक्शन में खो गई कुछ बातें,
जैसे अधूरी प्रोजेक्ट की रिपोर्ट की रातें।
पर कोड की हर लाइन में है छिपी उम्मीद,
कि एक दिन ये अधूरी दास्तां भी पूरी हो जाएगी निश्चित।
बाइट्स और बाइट्स के बीच ये सफर है चलता,
हमारी अधूरी दास्तां अब भी न रुकने वाला सपना।
अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी
पूरनपुर पीलीभीत उप्र
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