ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) तृतीय (द्वितीय) दिवस -प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )



नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) तृतीय 
(द्वितीय) दिवस 

भुवाल माता का नाम मंगलकारी है ।
आत्म रमण री सुखद सवारी हैं ।
भव कम करने री सुखद सवारी है ।
भुवाल माता का नाम मंगलकारी है ।
बनती शान्त तरंगें मन की स्वस्थ ह्रदय की भावना ।
जागृत बनती क्षण - क्षण में सोई हुई सम्भावना ।
भुवाल माता का नाम मंगलकारी है ।
चिन्तन का मिठास वाणी में उतर उतर कर आता हैं ।
कृत्रिमता का सारा तन्त्र मानो सहज बन जाता हैं ।
भुवाल माता का नाम मंगलकारी है ।
कंचन बनती काया नव ऊर्जा का स्रोत संवरता है ।
शरीर का पूरा मंडल स्मरण की , आभा से भरता हैं ।
भुवाल माता का नाम मंगलकारी है ।
आत्म निरीक्षण आत्म परीक्षण खुद से खुद को देखना ।
खुद ही कर पाता खुद की असली सही से उल्लेखना ।
भुवाल माता का नाम मंगलकारी है ।
बाहर से अन्तर यात्रा का , यह पहला सौपान हैं ।
अपने बल से यह करता , अपना सही निर्माण है ।
भुवाल माता का नाम मंगलकारी है ।

प्रदीप छाजेड़ 
( बोरावड़ )

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