भुला भुलाकर खुदको भूले पर तुमको भुला न पाये हम।
तुम जबसे बस गये आंखों में खुदको सुला न पाये हम।।
कोई सुहाना मौसम भी अब दिल को नही सुहाता।
वो प्यार भरे दिन ऐसे गुजरे, फिर बुला न पाये हम।।
तेरे प्यार का एक घूंट मिले तो फिर चाहे जो सजा मिल जाए।
थकान चाहे जितनी हो जो मंजिल मिल जाए तो मजा मिल जाए।।
हम टूट कर बिखर जाएंगे तेरे कदमों में फूलों की तरह।
तेरे कदमों को मेरे दिल में उतरने की जो रजा मिल जाए। ।
सुस्ती लिया अगर यूं ही सोते रहोगे।
तो वक्त के लिए बेवक्त यूंही होते रहोगे ।।
जागकर हौसले से इक कदम तो बढ़ाओ।
बीज बोते रहोगे तो कुछ न कुछ पाते रहोगे।।
जय हिन्द जय साहित्य
सादर घायल परिन्दा
🌹🌹🌹🌹🌹🙏
1 Comments
Wow
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