मेरे भाई

मेरे भाई



चला गया जो जीवन का आलंब,  
छोड़ गया संबंधों का संगम।  
वह भ्राता, जो था प्रियतम हमारा,  
आज स्मृतियों में मात्र सहारा।  

अलख जगाता, स्नेह लुटाता,  
हर दुःख को संग बाँट जाता।  
अब मौन हो गया वह प्यारा,  
शून्य कर गया जीवन हमारा।  

उसकी हंसी का वह मधुर राग,  
अब बन गया है केवल विराग।  
संग बिताए जो पल अमूल्य,  
अब हृदय में कर रहे क्रंदन व्यूल्य।  

माता-पिता के अश्रु निरंतर,  
चुपके चुपके कहें हृदय का स्वर।  
"हमारा अभिमान, हमारा आधार,  
अब कहाँ खोजें तेरा दरबार?"  

हे देव, उसे शांति का वास मिले,  
जहाँ न पीड़ा, न संताप मिले।  
और हमें शक्ति दो स्वीकारने की,  
इस विछोह को जीवन में उतारने की।  

भाई, तेरा स्नेह अमर रहेगा,  
तेरी स्मृतियों में जीवन सजेगा।  
तू था, तू है, तू सदा रहेगा,  
हमारे हृदय में अमिट बसेगा।  

ईश्वर हमारे मित्र एवं परिवारजनों क़ो सहन शक्ति प्रदान करें, ईश्वर हमारे अनुज की दिवंगत आत्मा क़ो शांति दें |

*ॐ शांति: शांति: शांति:*

*अनुज प्रताप सिंह सूर्यवंशी*
पूरनपुर, पीलीभीत (उoप्रo)
अध्यक्ष गुरूकुल अखण्ड भारत

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