तुम्हारा एक दिन.....

तुम्हारा एक दिन.....



तुम्हारा एक दिन ऐसा हो जिसमें तुम खुद से मिलना । 
अपने असल चेहरे को देख तुम खुद को गले लगाना ।

नकली हँसी हटाकर होंठों की सिकुड़न को देखना, 
महसूस करना वो दर्द जब चेहरे के आईने में झांकना । 

एक दिन बस अपनी आँखों की सुर्ख गहराई नापना, 
ज़ब्त के पहरों को हटाकर आंसूओं को तुम बहने देना ।

जब तुम खुद से मिलो तो अपने दिल को भी टटोलना, 
हमेशा उसे भूल जाते कभी उसकी भी शिकायतें सुनना ।

बस एक दिन सिर्फ़ तुम्हारा हो जिसमें खुद के लिए जीना।

आश हम्द, पटना बिहार


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